1400 Se Adhik Lokoktiya (Eng-Hindi) by V&S Books

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प्रकृति में व्याप्त मूल ध्वनियों के संयोग से शब्द और शब्दों के संयोग से भाषा का निर्माण हुआ। कालान्तर में भाषा अभिव्यक्ति मात्र का साधन न रहकर समाज की सांस्कृतिक विशेषताओं को भी उभारने लगी। लेकिन अपनी समस्त क्षमताओं के बाद भी जब वह मानव-मन की प्रत्येक अनुभूति को शब्द देने में असफल रही, तो इस कमी को दूर करने के लिए उसने लक्षणा और व्यंजना का सहारा लिया। मुहावरे व लोकोक्तियां उसी की बानगी हैं। मुहावरे और लोकोक्तियां किसी भी भाषा के स्वीकृत व रूढ़ प्रयोग हैं। जनजीवन में प्रचलित ऐसा विशेष प्रयोग या वाक्यांश जो लक्षणों या व्यंजना से अर्थ बताये और एक ही भाषा में प्रयोग होकर कहे गये अर्थ से भिन्न अर्थ बताये, वह ‘मुहावरा’ है, तथा कहावत या लोकोक्ति का तात्पर्य एक ऐसे सम्पूर्ण वाक्य से है जो चमत्कार पूर्वक संक्षेप में किसी सत्य या नीति के आशय को प्रभावशाली ढ़ग से प्रकट करता है और अधिक समय से जनजीवन में प्रयुक्त होकर प्रचलित हो गया है। कहावतें या लोकोक्तियों एक सम्पूर्ण वाक्य में रही जाती हैं, जबकि मुहावरे किसी वाक्य का एक अंश या टुकड़ा होती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में कुछ चुनें हुए मुहावरों व लोकोक्तियों का संग्रह किया गया है, जो पाठकों के ज्ञान में अवश्य ही वृद्धि करेंगी

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