Pustak Mahal Devarshi Narad Ki 33 Kathayen (9782G)
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- देवर्षि नारद की 33 कथाएं पौराणिक कथाओं के सबसे अधिक लोकप्रिय पात्र हैं - देवर्षि नारद। उनकी एक विशेषता यह बताई जाती है कि वे कहीं टिककर नहीं बैठते थे। कभी देवताओं के बीच, तो कभी मानवों के और कभी असुरों के बीच नारद विचरण करते थे।
- सभी उनका बड़ा आदर-सम्मान भी करते थे। नारद जी को भगवान् विष्णु का अनन्य भक्त भी कहा जाता है। यद्यपि पौराणिक कथाओं में नारद का उल्लेख सदा सम्मान के साथ किया जाता है। तथापि जान-साधारण यह कहकर भी उनकी हंसी उड़ाते हैं कि वे तो इधर की उधर लगाकर झगड़े करवाते फिरते हैं।
- वास्तविकता यह है कि वो जो भी करते थे उससे दुष्टों का पराभव तथा सज्जन लोगों की प्रतिष्ठा बढ़ती थी। पुस्तक महल द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की सभी कहानियां विभिन्न पुराणों और कुछ दन्त कथाओं पर आधारित हैं। इसमें बताया गया है कि देवर्षि होते हुए भी नारद प्रलोभनों में फंस गए और उन्हें अहंकार हो आया। किन्तु जब-जब वे इन दुर्बलताओं के शिकार हुए भगवान् विष्णु ने उन्हें उबार लिया। नारद धीरे धीरे मानवीय दुर्बलताओं से ऊपर उठते गए और उन्होंने सम्यक ज्ञान प्राप्त कर लिया।
Product Name | Pustak Mahal Devarshi Narad Ki 33 Kathayen (9782G) |
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ISBN / Product Code | 9788122313659 |
Binding | Paperback |
Publisher | Pustak Mahal |
General Books | Religion & Spirituality |
HSN Code | 4901 |
Company Details | Published by Pustak Mahal, Office No. J-3/16, Ansari Rd, Dariya Ganj, New Delhi, Delhi 110002. In case of any queries regarding products please call at 011 2327 2783. |
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