Pustak Mahal Hamare Teertha-sthal ( 4186C)

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GBKPUST0375
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  • आज के भौतिक युग में मनुष्य का अधिकांश जीवन प्रतिस्पर्धा, संघर्ष, तनाव और कुण्ठा में व्यतीत होता है. जीवन की आपाधापी, भागदौड़, भौतिक चकाचौंध में वह जाने-अनजाने अनेक बुरे कर्म भी कर जाता है. उसे जीवन में शांति नहीं मिलती, वह शांति के बेचैन हो जाता है.
  • जैसे-जैसे समय बीतता है, उसके कर्म और जीवन के संघर्ष चट्टान बनकर उसके मन को बोझिल और तनाव युक्त बना देते हैं, तब वह शांति की खोज में अपने कर्मों के प्रायश्चित के लिए तीर्थ स्थलों की यात्रा करता है. इस तीर्थ यात्रा में वह तीर्थों का पुण्य तो पाता ही है, उसे पर्यटन का लाभ भी मिलता है.
  • अधिकांश तीर्थ स्थल प्रकृति की गोद में शांत एवं एकांत स्थानों पर अवस्थित हैं. ये स्थान प्रायः किसी जलस्रोत, पर्वत या वन के समीप स्थित हैं. साधु-महात्माओं की उपस्थिति, मंत्रों का उच्चारण, भजन - कीर्तन, सत्संग व आरती आदि वहां के वातावरण को और भी अलौकिक और सुखद बना देते हैं. निश्चय ही ये तीर्थ-स्थल मनुष्य के अशांत मन को अपार सुख प्रदान करते हैं.
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Product NamePustak Mahal Hamare Teertha-sthal ( 4186C)
ISBN / Product Code9788122310375
BindingPaperback
PublisherPustak Mahal
General BooksReligion & Spirituality
HSN Code4901
Company DetailsPublished by Pustak Mahal, Office No. J-3/16, Ansari Rd, Dariya Ganj, New Delhi, Delhi 110002. In case of any queries regarding products please call at 011 2327 2783.
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