Pustak Mahal Manusmriti (9691F)
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- मनु महाराज हमारे आदि पूर्वज हैं। सृष्टि की उत्पत्ति उन्हीं से मानी जाती है। सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज के लिए उन्होंने जो मर्यादाएं निर्धारित की, जो नियम वनाए और जिन विभिन्न प्रकार की नीतियों का प्रतिपादन किया वे ‘मनुस्मृति’ नामक ग्रन्थ में संग्रहित हैं। निश्चय ही इन नियमों का परिपालन कर व्यक्तित्व का समग्र विकास परमानंदमय जीवन संभव है। बाल्मीकीय रामायण एवं महाभारत में ‘मनुस्मृति’ को सर्वाधिक पुरातन एवं प्रामाणिक ग्रन्थ स्वीकारा गया है। यह एक ऐसा आदर्श ‘मानव धर्मशास्त्र’ है जिसे विदेशी विद्वानों ने भी समादृत किया है।
- जहां तक मनुस्मृति पर उठने वाले आक्षेपों-आरोपों का प्रश्न है, वह कतिपय लोगों न्यस्थ स्वार्थ के कारण उसमें दिए गए क्षेपकों के कारण है। ग्रन्थ के सृजन से आज तक अरबों-खरबों वर्ष बीत चुके हैं, लिहाजा मूल स्वरूप का विकृत होना स्वाभाविक है।
- प्रस्तुत पुस्तक में, गहन अध्ययन-अन्वेषण के उपरांत क्षेपकों को हटाकर मूल तथ्यों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का भागीरथ यत्न किया गया है। मनुस्मृति पर अनेक विद्वानों के संस्कृत भाषा में टीकाएं एवं अनुवाद उपलव्ध हैं। लेकिन सरल, सटीक और व्याख्यात्मक विवेचन का अभाव है। इस पुस्तक में यह अभाव भी दूर करके, मनु महाराज के वचनों का ‘व्यावहारिक पक्ष’ सरल भाषा व रोचक शैली में आपके समक्ष रखा गया है।
Product Name | Pustak Mahal Manusmriti (9691F) |
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ISBN / Product Code | 9788122314571 |
Binding | Paperback |
Publisher | Pustak Mahal |
General Books | Religion & Spirituality |
HSN Code | 4901 |
Company Details | Published by Pustak Mahal, Office No. J-3/16, Ansari Rd, Dariya Ganj, New Delhi, Delhi 110002. In case of any queries regarding products please call at 011 2327 2783. |
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