Pustak Mahal Maykhana (9064D)

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मयखाना हालावादी काव्य की मधुशाला है जिसमें तरह तरह के परवाने आते हैं और साकी के पैमाने में डूब कर बीते हुए और आने वाले कल को भुला देते हैं। इनको भुलाने में ही मस्ती है, चरम आनन्द है। अपने आज में ही मदमस्त रहो पिओ, जिओ और सजाओ सुख से भरे सपनों का हसीन संसार। कवि अनजान ने साकी को परमात्मा, मधुशाला को जगत, हाला को मादकता और बोतल, प्याले को जीवन की सॉंसें मानकर प्रतीकों की मनभावन छटायें बिखेरी हैं। मयखाना के ये 100 मद भरे प्याले, डूब कर ख़त्म हो जाने के लिए नहीं बल्कि चेतना में अंगड़ाई लेकर जागने के लिए और जीवन को उजालों से भर देने के लिए हैं।

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