Shivansh Se Shiv Tak by Omprakash Shreevastav and Bharati Shreevastav

Special Price Rs 187.00 4% off Rs 195.00
Out of stock
SKU
GBKMANJ7322
(MRP is inclusive of all taxes)
  • हिन्दू देवताओं में सबसे प्राचीन और अन्तर्भूत देवता शिव को अनेक परस्पर विरोधी रूपों में चित्रित किया गया है : संहारकर्ता और कल्याणकारी, वैरागी और ग्रहस्थ, भयानक राक्षसों का वध करने वाले और कैलाश की चोटी पर ध्यानमग्न प्रशान्तचित योगी I हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ शिव महापुराण से (जिसके बारे में मन जाता है कि उसकी रचना स्वयं शिव ने की है) वनमाली ने शिव की महत्वपूर्ण कथाओं को चुना है, जिनमें उनका स्याह और निरंकुश पक्ष भी उभरता है और कल्याणकारी तथा सौम्य पक्ष भी I 
  • वनमाली ने शिव के अनेक अवतारों की चर्चा की है जिनमें उनके शम्भुनाथ और भोला के अवतार भी शामिल हैं और दक्षिणामूर्ति अवतार भी, जिन्होंने ऋषियों को शास्त्रों और तन्त्रों की शिक्षा दी I उन्होंने दुर्गा, शक्ति, सती और पार्वती तथा उनके पुत्रों गणेश और कार्तिकेय के साथ शिव के संबंधों की व्याख्या की है I
  • शिव द्वारा विजांतीय शक्तियों को दी गई स्वीकृति की गहराई में जाते हुए वनमाली हमें बताती हैं कि क्या कारण हैं कि भूत-प्रेत और पिशाच उनके गण हैं तथा राक्षसराज रावण जैसे लोग उनके परम भक्त हैं I
  • अपने इस विमर्श में उन्होंने गंगा-अवतरण और समुद्र-मन्थन जैसी कथाओं के साथ-साथ उन कथाओं को भी शामिल किया है जो हमें दीपावली जैसे पर्वों के उद्गम तथा अलौकिक युगल की रचना जैसी बातों के अलावा इस बारे में भी बताती है कि किस तरह शिव और पार्वती ने संसार को कुण्डलिनी-शक्ति के रहस्यों की शिक्षा दी I
  • पाश्चात्य विज्ञानऔर वैदिक विज्ञानं के बीच के अंतर तथा चेतना के उद्गम को लेकर की गयी इन विज्ञानों की व्यख्याओं को दर्शाने के लिए लेखिका ने शैव दर्शन का भी बेहतर उपयोग किया है I 
  • शिव के उग्र और शान्त सोनो पक्षों का संयोजन करते हुए लेखिका बताती हैं कि किस प्रकार शिव के रूप भक्तों की ज़रूरतों के अनुसार बदलते रहते हैं I शिव के उपदेशों की समझ हमें मानव - जीवन के समस्त दुखों और वियोगों के मूल में बैठ भ्रमो के पार देखने में समर्थ बनाती है, क्योंकि शिव स्वयं ही वे मानवीय हैं जिन पर माया का कोई प्रभाव नहीं पड़ता I जहाँ गणेश विघ्न-विनाशक के रूप में जाने जाते हैं, वहीँ शिव अश्रु-विनाशक कहे जाते हैं I
More Information
Product NameShivansh Se Shiv Tak by Omprakash Shreevastav and Bharati Shreevastav
ISBN / Product Code9788183227322
Author Omprakash Shreevastav and Bharati Shreevastav
BindingPaperback
PublisherManjul Publishing House
General BooksBest Translations In Hindi, Religion & Spirituality
HSN Code4901
0
Rating:
0% of 100
Write Your Own Review
You're reviewing:Shivansh Se Shiv Tak by Omprakash Shreevastav and Bharati Shreevastav
Your Rating
We found other products you might like!
WhatsApp Chat WhatsApp Chat