Stedura Press Jaivik Yudh Ek Parichay by Ajay Kumar Goyal, Vijay Pal, Paritosh Malviye

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GBKSTUD3408
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  • जैविक युद्ध को आधुनिक सदी के युद्ध के रूप में मान्यता प्राप्त है। शत्रु देश या आतंकी समूहों द्वारा इनके इस्तेमाल की निरंतर संभावना बनी रहती है। आसान, कम लागत में उत्पादन तथा गंभीर मारक क्षमता जैविक युद्धक अभिकारकों की घातकता एवं चयन को बहुत ज्यादा बढ़ा देती है। मूलत: विद्यार्थियों एवं सामान्य पाठक के लिए लिखी गयी इस पुस्तक में विभिन्न जैविक युद्धक अभिकारकों (बैक्टीरिया, वायरस, फंजाई एवं टॉक्सिन) के बारे में आधारभूत जानकारी प्रदान की गयी है।
  • पुस्तक को 14 अध्यायों में विभक्त किया गया है जिनमें जैविक युद्ध का परिचय, इतिहास, जैव सुरक्षा, जैविक युद्धक अभिकारकों की पहचान व निगरानी, जैविक हथियार संधि, भविष्य की चुनौतियाँ व समाधान के अलावा घातक जीवाणु, विषाणु एवं टॉक्सिन पर केंद्रित अध्याय सम्मिलित हैं। इस तरह यह पुस्तक जैविक युद्ध से जुडे़ लगभग समस्त विषयों एवं विवरणों को समाहित किए हुए है।
  • इसके अलावा इस पुस्तक में विभिन्न जीवाणुओं, विषाणुओं, आविषों एवं फफूंद का परिचय, उनसे फैलने वाले रोग, उनकी पहचान एवं मरीज के उपचार इत्यादि से संबंधित सामग्री भी शामिल है। जैविक अभिकारकों द्वारा संक्रमित रोगी की समय रहते पहचान उसके जीवन को बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इस पुस्तक में इस बारे में दी गयी सचित्र जानकारी सामान्यजन, विद्यार्थियों के अलावा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है।
  • पुस्तक के लेखकगण देश के अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान से जुड़े हुए हैं एवं इन विषयों पर सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक जानकारी रखते हैं। इस पुस्तक को मातृभाषा हिंदी में लिखने के पीछे यही उद्देश्य है कि जन स्वास्थ्य से प्रत्यक्ष रूप से जुडे़ इस विषय की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।
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