Ye Pyar Kyun Lagta Hai Sahi by Ravinder Singh

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  • काश प्यार सोच-समझ कर किया जा सकता, या फिर कभी किसी को प्यार होता ही नहीं - तो जिंदगी कितनी आसान होती! 'मुझे कभी प्यार-व्यार नहीं होगा,' वः अपने आप से कहती रहती| पर अंदर ही अंदर, किसी भी और लड़की की तरह, वह भी चाहती थी कि कोई उसे प्यार करे|
  • ज़िन्दगी कि वास्तविकता से उसने समझौता कर ही लिया था कि अचानक एक दिन बिन बताए, बिन बुलाए उसका प्यार उसके सामने आ खड़ा हुआ! प्यार की फितरत ही ऐसी है - वह किसी से इजाज़त नहीं लेता और ऐसे ही बिन बुलाए, बिना किसी आहट के ज़िन्दगी में आ धमकता है| प्यार से रूबरू होने पर उसने खुद से पुछा, 'क्या यही मेरा प्यार है? क्या यही प्यार मेरे लिए सही है?' इस सवाल का जवाब आसान नहीं है ||न कभी था और न कभी होगा|
  • यह मर्मस्पर्शी प्रेम-कथा रिश्तों के बारे में आपकी हर धारणा को झकझोर कर रख देगी| About the Author रविंदर सिंह ‘एक प्रेम कहानी मेरी भी’, ‘क्या दोबारा हो सकता है प्यार’, ‘मानो कल की ही बात हो’ और ‘तुम्हारे सपने हुए अपने’ जैसी बेस्ट सेल्लिंग पुस्तकों के लेखक हैं| पश्चिम ओडिशा के एक छोटे-से कसबे बुड़ला में अपनी ज़िन्दगी का अधिकांश समय बिताने के बाद रविंदर अब नई दिल्ली में रह रहे हैं| उन्होंने ख्याति प्राप्त इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस से एम बी ए किया है|
  • उनका आठ वर्ष लंबा आई|टी करियर इन्फ़ोसिस के साथ शुरू होकर माइक्रोसॉफ्ट के साथ सीनियर प्रोग्राम मैनेजर के रूप ख़ुशी-ख़ुशी समाप्त हुआ| एक दिन उन्हें यह एहसास हुआ कि किताबें लिखना प्रोजेक्ट प्लान बनाने से कहीं अधिक रुचिकर है| उनके मुताबिक, उसी दिन से उनका काम शुरू हो गया और वे अपना पूरा समय लेखन को देने लगे|
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Product NameYe Pyar Kyun Lagta Hai Sahi by Ravinder Singh
ISBN / Product Code9780143429821
BindingPaperback
PublisherManjul Publishing House
General BooksPersonality Dev. & Self Help, Love & Romance
HSN Code4901
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