Mathura Ish (Dharma Aur Rashtra Utthan Ki Gatha) by Sanjay Tripathi
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- सिकन्दर के आने के सैकड़ों वर्ष पूर्व यवनों ने भारत के पश्चिम भाग सौराष्ट्र में अपना व्यापार फैलाया, अपनी बस्तियां बसायीं और भारत के भीतर अपनी सत्ता स्थापित करने के प्रयास किये. काल यवन का वध कर कृष्ण ने न केवल विदेशियों के बढ़ते प्रभाव को रोका, अपितु अनेक यवनों को आर्यों में सम्मिलित कराया. वैदिक रीतियों पर आधारित धर्म को पुरोहितों ने अत्यधिक खर्चीला और समय साध्य बना
- दिया. धर्म की जटिल प्रक्रियाओं से ऊब चुके जान मानस को कृष्ण ने उपनिषद के आधार पर ज्ञान, कर्म एवं भक्ति के मिश्रण से सरल, सहज उपासना विधि दी. कृष्ण का यह सिद्धान्त चहुँ ओर लोकप्रिय हुआ और लोगों ने उन्हें ही ईश मान लिया.
- कृष्ण का दिया दर्शन संख्या बल में कम पांडवों को विजयी बना गया. लोग कृष्ण को ईश्वर मानते रहे और ईश्वर सदृश्य बनने हेतु स्वयं को परिष्कृत करते गये. घोर आंगरिस ऋषि ने उनके लिए कि तू 'अक्षित अक्षय' है, 'अच्युत अविनाशी' है और उन्होनें कुरुक्षेत्र में हुंकार भरी कि 'मेरा न आदि है, न अंत है,' 'मैं थल में हूँ, में जल में हूँ.' मुनि नारद जैसे ऋषियों ने 'नारायण नारायण' का जाप कर कृष्ण को विष्णु स्वरुप में स्थापित कर दिया.
Product Name | Mathura Ish (Dharma Aur Rashtra Utthan Ki Gatha) by Sanjay Tripathi |
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ISBN / Product Code | 9788183228008 |
Binding | Paperback |
Publisher | Manjul Publishing House |
General Books | Personality Dev. & Self Help, Literature Fiction & Non Fiction |
HSN Code | 4901 |
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