Pustak Mahal Ashtavakra Geeta (9658H)

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  • अष्टावक्र गीता भारतीय आध्यात्मिक जगत का ही नहीं अपितु विश्व आध्यात्मिक जगत का शिरोमणी ग्रन्थ है। इसमें राजा जनक एवं महर्षि अष्टावक्र के बीच हुए आध्यात्मिक संवाद का विस्तृत वृत्तांत है। यह संवाद अनुपम, अनूठा और बेमिसाल है। अष्टावक्र गीता के लेखक ने संक्षेप में इस संवाद का नवनीत प्रस्तुत किया है। अष्टावक्र के मंत्र इतने प्रभावी, ऊर्जावान एवं चमत्कारिक हैं कि इनके पठन-श्रवण मात्र से पाठक-श्रोता के अन्तर्मन में आत्म-बोध घटित हो जाता है।
  • अष्टावक्र बड़ी सरलता एवं सहजता से पाठक को ऐसी अलौकिक यात्रा पर ले जाते हैं, जहां आनंद ही आनंद है, सुख ही सुख है। अष्टावक्र गीता केवल मोक्षशास्त्र ही नहीं है अपितु यह एक आदर्श समाजशास्त्र एवं लोक-व्यवहार शास्त्र भी है। यह जीव, जगत एवं जगदीश्वर की एकरूपता के भाव को मानव-मन में वैठाकर संसार के लोगों में प्रेम एवं सद्भाव की ज्योति जाग्रत करता है। इस महान ग्रन्थ की अद्भुत महिमा है।
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