Santo me Sant Tukaram Maharaj by Sir Shree
‘मैं भी विट्ठल, तू भी विट्ठल... सृष्टि के हर कण में विट्ठल ... हर क्षण में विट्ठल.. जीवन ही विट्ठल।’ संत तुकारामजी का जीवन यानी विट्ठल भक्ति का अनोखा दर्शन है। विश्व में तीन प्रकार के लोग हैं। पहले वे जो समस्याओं में, दुखद घटनाओं में कम्पित हो जाते हैं। दूसरे वे जो हर घटना की तरफ़ आशावादी दृष्टिकोण से देखने की आदत अपनाते हैं, मगर तीसरे प्रकार के लोग समस्याओं में न सिर्फ़ सकारात्मक सोच रखते हैं बल्कि अपने मन को अकंप, अभंग बना पते हैं, उनका जीवन युगों-युगों तक उच्चतम मार्गदर्शन (मोक्ष) से पता है। ‘संसार में रहते हुए भी इंसान की दौलत पा सकता है, ‘यह संत तुकाराम महाराज का जीवन दर्शाता है। सांसारिक समस्याओं को निमित्त बनाकर इंसान आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। इतना ही नहीं बल्कि सभी सांसारिक समस्याओं को ‘ईश्वरीय प्रसाद’ समझकर वह प्रेम, आनंद और शांति का कीर्तन कर सकता है। प्रस्तुत ग्रंथ में यही बातें विस्तार से जानेंगे। इसके अलावा आप इस पुस्तक में पढ़ेंगे -
• संत तुकाराम की जीवनी और अभंग रहस्य
• समस्याओं का सामना करने के गुर
• क्या संसार में रहकर भक्ति साधना संभव है
• इक्कीसवीं सदी में तुकाराम की शिक्षाएँ
• संसार के दुष्चक्र में स्थिर रहने की कला
• दुःख से मुक्ति के 5 कदम
• आध्यात्मिक ग्रंथों का महत्व
• शब्दों की शक्ति का प्रभाव
• क्षमा से मोक्ष की यात्रा
Product Name | Santo me Sant Tukaram Maharaj by Sir Shree |
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ISBN / Product Code | 9788183227988 |
Binding | Paperback |
Publisher | Manjul Publishing House |
General Books | Personality Dev. & Self Help |
HSN Code | 4901 |